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क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 26



कमलेश  ने फ़ोन  रखा  और पास खड़े  हवलदार  से चाय  लाने को कहा।


जीजा जी, अभी  तो आपसे  मुझे  बहुत  कुछ  लेना है  अपने भांजे  का सहारा  लेकर । अभी  तो ऊंट पहाड़  की और चला  है  अभी  तो उसे पहाड़  के नीचे  आना  है ।

कमलेश  अपने आप  से कह ही रहा  था  की हवलदार  चाय  लेकर आ  गया  और बोला " साहब  चाय  "

कमलेश  चाय  लेकर " क्या बे खाली चाय  लेकर  चला  आ  रहा  है  कोइ नमकीन  बिस्कुट नही लाया "

"माफ़ी साहब  अभी  लेकर आता  हूँ" उस हवलदार  ने कहा। और चला  गया 

कमलेश  चाय  पीने  लगा  और बोला " वाह इलायची  की चाय  की तो बात ही अलग  है  "

तभी  उसके केबिन में एक महिला  थानेदारनी  और एक पुलिस  स्पेक्टर आये  और बोले " सर , वो लड़की  अभी  बयान  नही दे सकी  इसलिए  हम  कल  जाएंगे वो अभी  डरी  हुयी है  "

"ठीक  है, ठीक  है जो भी बयान  दे सबसे  पहले  मुझे  दिखाना  किसी और को दिखाने  से पहले  " कमलेश  ने कहा


"ठीक  है  सर, ऐसा ही होगा " उन दोनों ने कहा और चले  गए

उधर  अंजली  और दुर्जन परेशान  थे । अंजली  अभी  भी  अपने चेहरे को देख  आँखों  से आंसू  बहा  रही  थी। वो जब  जब  आँखे  मीचती  तब  तब  उसे वो रात याद आ  जाती जब  उसपर  तेजाब फेका  गया  था  और वो तड़प  तड़प  कर  नीचे  गिर गयी  थी ।


उसी के साथ साथ  उसे अमित के यूं इस तरह छोड़  जाने का भी  बहुत  दुख  था  उसे वही  बाते याद आ  रही  थी  जो अमित उससे ख़त में और मुलाक़ात पर  करता  कि वो उसका साथ  कभी  नही छोड़ेगा ।

पर  ना जाने क्यू उसे आज  यूं इस तरह  वो अकेला छोड़  कर  चला  गया , बिना उससे कुछ  पूछे  की उस रात क्या हुआ था  उसने उसके होश  में आने  का भी  इंतज़ार  नही किया कि उससे खुद  उसके मुँह से उस रात की सच्चाई  जान सके , दूसरों की बातो पर  कान धर  कर  उसने उसकी मोहब्बत  को बीच  रास्ते में ही तन्हा छोड़  दिया और उससे मुँह मोड़ लिया।


भले  ही वो उसके अब काबिल नही रही , जिस खूबसूरती  को देख  कर  वो उसकी और आकर्षित  हुआ था  वो अब मिट्टी में मिल चुकी  थी । लेकिन एक बार उसके होश  में आने  का इंतज़ार  तो करलेता  उसकी बेगुनाही उसके मुँह से सुन लेता।


उस पर  भरोसा  तो करता । यही  तो मोहब्बत का पहला  उसूल  है कि जिससे मोहब्बत की जाए उस पर  भरोसा  भी  किया जाए लेकिन शायद  अमित को उससे मोहब्बत थी  ही नही जब  ही तो वो भी  दूसरों की तरह  उसे ही कसूर वार समझ  रहा  था ।

अंजली  मन ही मन  ये सब  बाते सोच  रही  थी  और रो रही  थी ।



वही  दूसरी  तरफ  अमित जो कि अपनी इस तरह  बदनामी  बर्दाश  ना कर  सका  था  और खुद  को कमरे  में बंद  कर  लिया था  कुछ  दिन के लिए ।

उसने अंजली  के सारे ख़त  उसकी तस्वीर   वो मोबाइल उसकी अंगूठी  सब कुछ  जला  दी थी  यहाँ तक  की उसकी हर  एक याद उसने अपने दिल से निकाल फेकी।


और आज  इतने दिन बाद वो अपने कमरे  से बाहर  निकला था । उसका हुलिया बहुत  अजीब  हो चुका  था  उसकी दाढ़ी मूछे  सब  बढ़ गयी  थी । उसका घर  जो शादी  की तैयारीयों से जगमगा  रहा  था  कुछ  अरसा पहले  वहा  अब मनहूसियत  छायी  हुयी थी। चारो  और उदासी ही उदासी थी ।


मोहल्ले वालो और रिश्तेदारों ने अब आना  और बाते बनाना  बंद  की थी  कि इनकी होने वाली बहु  तो अपने आशिक  के हाथो बुरी तरह  तेजाब से जला  दी गयी ।

इन्ही बातो की वजह से अमित ने खुद  को कमरे  में बंद  कर  लिया था ।


आज  उसको इस तरह खुद बाहर आते  देख  उसकी माँ और पिता खुश  हुए  और उसे सीने  से लगा  लिया। लेकिन वो अभी  भी  पुरानी यादों से बाहर  नही निकला था । उसके दिल में कही  ना कही अभी भी  अंजली  की यादें दफन  थी ।

और वो बाहर  बगीचे  में जाकर  बैठ  गया। उसकी माँ उसकी तरफ जाती लेकिन उनके पति  ने रोक लिया वहा  जाने से उन्हें और कहा " अभी  उदास है  कुछ  दिन बाद खुद  सही  हो जाएगा "

"पता  नही कब  मेरा पुराना अमित वापस  आएगा , मर ही जाए वो लड़की  तो अच्छा है  अपना भी  मुँह काला किया और बेवजह  मेरे बेटे को भी  अपना दीवाना कर  दिया, भगवान  जाने कब  अमित अब पहले  जैसा अमित बन  पायेगा, या जिंदगी भर  ऐसा ही रहेगा मेरा एकलौता बेटा "अमित की माँ ने कहा


"शुभ  शुभ  बोलो, देखना  कुछ  दिन बाद हमारा  बेटा सही  हो जाएगा " अमित के पिता ने कहा

"सही  कहा आपने , कितना अरमान था  मुझे अपने एकलौते बेटे की बहु  लाने का अब पता  नही कब  ये मौका मिलेगा मुझे  " अमित की माँ ने कहा


"देखना  हमारा  बेटा जल्दी ठीक  हो जाएगा, मैं एक डॉक्टर को जानता हूँ जो इस तरह  के मरीज़ों  का इलाज करते  है , तुम देखना  हमारा  बेटा सही हो जाएगा फिर इसकी धूम  धाम  से शादी  करेंगे " अमित के पिता ने कहा


"इसकी शादी  हमें जल्द से जल्द कराना  होगी, अब कोइ लड़की  ही इसे संभाल  सकती  है, इसके टूटे  दिल को जोड़ सकती  है  अपने प्यार के मरहम  से इसके जख़्मी  दिल को ठीक  कर  सकती  है । और उस  धोकेबाज़  लड़की  की यादें इस के दिल से निकल वा सकती  है ।" अमित की माँ ने कहा


" आपको पक्का यकीन है कि कोइ लड़की  इसे संभाल  सकती  है  वो भी  इस हालत  में, और कौन लड़की  अब इससे शादी  को राज़ी होगी " अमित के पिता ने कहा


" हाँ, मुझे  पूरा  यकीन  है  कि किसी और की मोहब्बत  इसके दिल से उसकी मोहब्बत  निकाल फेकेगी , और रही  बात लड़की  की तो एक लड़की है  हमरी  नज़र  में "अमित की माँ ने कहा


"कौन है  वो, क्या वो सब  कुछ  जानती है  " अमित के पिता ने पूछा 


"जी वो सब  कुछ  जानती भी  है और हम  सब  को अच्छे से पहचानती  भी  है । मेरी दोस्त की बेटी सोनाली, वो इसे पहले  से पसंद  करती  है । लेकिन ये उस गांव वाली के प्यार में पड़  गया  था  वो इसे इस दलदल  से बाहर  निकाल लेगी। अपनी मोहब्बत  की रस्सी से देखना  एक दिन " अमित की माँ ने कहा


"ठीक  है , जो तुम को सही  लगे बस  देखना  किसी की भी  जिंदगी बर्बाद ना हो जाए ना हमारे  बेटे की और ना उस सोनाली की। कही  दोनों जिंदगी भर  अनजान रिश्ते में बंधे  रहे  सोनाली इससे मोहब्बत करती  रहे  और ये उस अंजली  से " अमित के पिता ने कहा


"नाम मत  लो उसका मेरे इस घर  में पहले  ही इतना सब  कुछ  कर  दिया है  उसने हमारे  साथ , देखना  सोनाली अमित को अपने प्यार की गिरफ्त में जकड  ही लेगी एक दिन। कब  तक  यूं ही एक ख्वाब के पीछे  भागेगा  हमारा  बेटा कभी  तो हकीकत  तस्लीम  करेगा  और सोनाली को अपनी पत्नि समझेगा  बस  उसी दिन सोनाली की और हमारी  सब  की जीत  होगी और वो दिन जल्दी आएगा आप  देखना  " अमित की माँ ने कहा और वहा  से चली  गयी ।


अमित बाहर  बगीचे में खामोश  गुमसुम बैठा था  और थोड़ी  देर बाद उठ  कर  अपने कमरे  में चला  जाता है ।



अमित के पिता ने अपने आप  से कहा " ये वक़्त भी  गुज़र जाएगा एक दिन बस  थोड़ा  सब्र रखने की ज़रुरत  है "



वही  दूसरी  तरफ  वो नर्स जो जान गयी  थी  कि वो लड़की  जो अस्पताल में भर्ती  है  उसके पिता के पास  कुछ सबूत  है  जो की साहूकार के बेटे को फसा  सकते  है ।


वो घर  आ  चुकी  थी  उसका बेटा बीमार था , उसे उसके इलाज के लिए  पैसे चाहिए  थे  वो यही  सोचती  रही  की अगर  मेने साहूकार को जाकर बता  दिया की उसका बेटा फस  सकता  है  तो शायद  वो मुझे  कुछ  पैसे दे दे जिससे की मैं अपने बेटे का इलाज कर  वा सकूँ।


रात भर  वो यही  सोचती  रही ।


अंजली भी  सो चुकी  थी  दुर्जन उसके पास  बैठा  था । और कल  का इंतज़ार  कर  रहा  था  क्यूंकि कल  अंजली  अपना बयान  दे देगी उसके बाद अर्जुन को पुलिस  पकड़  लेगी।


अर्जुन शराब पीकर कमरे में सो रहा था चेन की नींद अपना बदला लेने के बाद। दुर्जन अंजली के पास बैठा उसे निहार रहा था और सोच रहा था की उसकी चाँद सी बेटी के साथ ये सब क्या हो गया। अंजली की माँ मुझे माफ कर देना तेरी अमानत की हिफाज़त ना कर सका हो सके तो मुझे माफ करदेना।

दूसरी तरफ अमित भी अपने कमरे में उदास बैठा रो रहा था बीते वक़्त को याद करके और अपने आप से कह रहा था " क्यू अंजली तुमने मेरे साथ ऐसा क्यू किया, क्यू तुमने मेरी मोहब्बत को रुस्वा और बदनाम कर दिया, तुमने तो मेरे साथ जीने मरने के वायदे किए थे। फिर ये सब क्यू किया तुमने मेरे साथ "


मंजू जो की अंजली के लिए परेशान थी। वो उससे मिलना चाहती थी। लेकिन उसकी सास और उसके पति ने उसे उससे मिलने को मना कर दिया। उस रात उसे भी अंजली की बहुत याद आ रही थी क्यूंकि उस हादसे के बाद उसकी जिंदगी भी बदल सी गयी थी।

सब लोग बदल से गए थे यहाँ तक की राकेश भी। वो उस घर में अंजानो की तरह रह रही थी। कभी कभी तो उसका मन करता की वो भाग जाए लेकिन बाद में उसे अपने माता पिता का ख्याल आता कितनी धूम धाम से उसकी शादी की थी उन्होंने।

मंजू को अंजली के साथ बिताये हर लम्हा याद आ रहा था, अब जाकर उसे वो घर ससुराल लगने लगा था उस रात वो बहुत रो रही थी मन ही मन। क्यूंकि शाम में राकेश और मंजू की लड़ाई हो गयी थी। वो मायके आना चाहती थी ताकि अपने माँ बाप और अंजली से मिल सके।

लेकिन उसकी सास ने मना कर दिया वहा जाने से इस वजह से उन दोनों में खूब लड़ाई हुयी।


नर्स सुबह का इंतज़ार कर रही थी की वो जाकर साहूकार को बता कर कुछ पैसे एठ ले और शहर चली जाए अपने बेटे के साथ और उसका अच्छे से इलाज करवा सके।


धीरे धीरे वो रात गुज़र गयी और एक नयी सुबह नयी उम्मीद के साथ उजागर हुयी।

अंजली उठ गयी थी और आईने में अपना चेहरा देख रही थी। उसकी आँखे नम थी मानो वो अभी और रोना चाहती हो उसने अपने चेहरे पर हाथ फेरा तभी उसका नाख़ून उसके चेहरे की उभरी हुयी खाल को छूता। अंजली को थोड़ा दर्द हुआ और उसकी चीख निकली " आह "

ये आवाज़ सुन पास लेटा दुर्जन उठ बेटा और घबरा कर पूछता है "क्या हुआ बेटा कही दर्द हुआ "

अंजली आँखों में आंसू लेकर बोली " पिताजी ये दर्द तो अब जिंदगी भर का है इसकी भरपाई तभी होगी जब गुनेहगार सलाखों के पीछे होगा "

"हाँ, बेटा मैं समझ सकता हूँ तेरे दर्द को जब तू बचपन में लड़खड़ा कर गिर जाती और तुझे चोट लगती तो तुझसे ज्यादा मुझे दर्द होता था और मैं भगवान से प्रार्थना करता की तेरी चोट जल्दी ठीक हो जाए तेरे बदले का दर्द मुझे हो जाए, मेरा दिल अंदर से रो रहा है तुझे इस तरह देख कर काश की मैं दर्द, दुख परेशानी अपने सर ले सकता और तुझे वही हस्ती मुस्कुराती अंजली बना सकता।


लेकिन तू परेशान मत हो एक बार वो साहूकार का बेटा पकड़ जाए, तेरी बेगुनाही सारे गांव के सामने आ जाए फिर मैं तुझे शहर लेकर जाऊंगा जहाँ तू पहले वाली अंजली बन जाएगी भगवान ने चाहा तो " दुर्जन ने कहा अपने आंसुओ को दिल में दबाते हुए


अंजली जो की अपने आंसुओ को बाहर आने से रोके हुयी थी। अपने पिता के मुँह से इस तरह की बाते सुन उसे चिपट कर रो पड़ी और बोली " मुझे माफ कर दीजिये पिता जी मेरी वजह से आपकी ये हालत हुयी है, लेकिन मैं बकसूर हूँ "

दुर्जन कुछ कहता तभी दरवाज़े पर दस्तक होती।

"दुर्जन पीछे मूड कर देखता तो वही थानेदार खड़ा था जो अंजली को इंसाफ दिलाना चाहता था "

"अरे अरे स्पेक्टर साहब आइये मेरी बेटी आज एक दम तैयार है बयान देने के लिए " दुर्जन उठा और स्पेक्टर के पास जाकर कहा।


अंजली बेटा इनसे मिलो इनका नाम सतवीर है। ये बहुत ही अच्छे स्पेक्टर है। इन्हे उस रात जो कुछ भी हुआ सब बता दो।


"अंजली ने डरते हुए अपना चेहरा छिपा कर पीछे हटने लगी।

बेटा डरो मत, मैं यहाँ तुम्हे कोइ नुकसान पहुंचाने नही आया हूँ मैं तो उस रात का सच जानने आया हूँ।


मैं तुम्हे इंसाफ दिलाना चाहता हूँ और असली गुनेहगार को पकड़ कर जैल की सलाखों के पीछे करना चाहता हूँ ताकि कोइ भी ऐसा गिनहोना काम किसी की भी बहु बेटी के साथ करने से डरे और उसकी रूह काप जाए "सतवीर ने कहा


अंजली डरते हुए कहती " मैं,,,, मैं,,,, मैं,,, सब बताउंगी उस रात जो कुछ भी हुआ था मेरे साथ सब कुछ "

"हवलदार कागज और कलम लाओ, मैडम का बयान लिखना है "

सतवीर ने पास खड़े हवलदार से कहा।


हवलदार  कागज  और कलम  लाता है। अंजली  डरते  डरते  बताती  है उस समय  से जब  उसे वो ख़त  मिला था  और वो दौड़ी नदी  किनारे चल  पड़ी  थी । मंजू  के रोकने के बावजूद ।



नर्स जो की अपने घर  से निकल  गयी  थी  और साहूकार के घर  की और अपने कदम  बड़ा  रही  थी  और मन  ही मन  कह  रही  थी  " अब मेरा बेटा ठीक  हो जाएगा, मैं उसे शहर  ले कर  जाउंगी उसका बाप तो पहले  मर चुका है  लेकिन इसे कुछ  नही होने दूँगी । साहूकार से पैसे एठने  का अच्छा मौका है  जो किस्मत ने मुझे  दिया है ।

ये सब  कुछ  सोचते  सोचते  वो साहूकार के घर  आ  पहुंची ।


बाहर  खड़े  दरबान  ने उससे पूछा  " किससे मिलना है , कहाँ मुँह उठाय  घुसे  जा रही  है सुबह सुबह पता  नही है , ये साहब  लोगो के सोने और आराम  का समय  है  "

नर्स कहती  है  " मुझे  बड़े साहब  से मिलना है  बहुत  ज़रूरी  है  "

"ऐसा भी  क्या ज़रूरी  है , मुझे  बता  मैं अंदर  जाकर  बता  दूंगा  " दरबान  ने कहाँ

नर्स " तुम्हे नही बता  सकती  बस  अंदर जाकर कहना  अस्पताल से नर्स नेन्सी आयी  है  उसे उस हादसे से जुडी कुछ  खबर  देनी है  "

"कोनसा हादसा, कौन सी खबर " दरबान  ने पूछा 

"वही  हादसा जो कुछ  हफ्ते पहले  नदी  किनारे हुआ था  और उस लड़की  का बाप बड़े  साहब के बेटे पर  इल्जाम लगा  रहा  था । उसी के मुताल्लिक कुछ  बात है  जो उन्हें बताना  है  वरना  छोटे  साहब  मुसीबत  में पड़  सकते  है  " नर्स नेन्सी ने कहाँ


"रुक जरा , अंदर  बता  कर  आता  हूँ " दरबान  ने कहाँ और चला  गया 


"जा, जा अभी  खुद  मुझे  अंदर लेकर  जाएगा जब  साहूकार को तू  जाकर  बताएगा  की उसके बेटे की जान खतरे  में है  " नर्स ने अपने आप से कहाँ


दरबान  अंदर  आता  है ।

चरण  सिंह , उसकी पत्नि और अर्जुन नाश्ता कर  रहे  थे ।

"प्रणाम मालिक " दरबान  ने कहाँ

"कैसे आना  हुआ तेरा अंदर " चरण  सिंह  ने पूछा 

"मालिक ऊ बाहर  दरवाज़े  पर  अस्पताल से एक नर्स आयी  है कह  रही  है  कुछ  बताना  है , वरना  छोटे  मालिक की जान को खतरा  हो सकता  है  " दरबान  ने कहाँ


"इ का बक  रहा  है  तू , पगलाई  गया  है  क्या हमरे  बेटे को किस चीज  का खतरा  " अर्जुन की माँ ने कहाँ

"रुको जरा  हमें बात करने  दो " चरण  सिंह  ने अपनी पत्नि को टोकते हुए  कहाँ

"हाँ, साफ साफ बता  क्या बात है । कौन है  वो नर्स और कहाँ से आयी  है  और हमरे  बेटे को किससे खतरा  है " चरण  सिंह  ने कहाँ


"मालिक वो जो लड़की  नदी  किनारे मिली थी  और अब अस्पताल में भर्ती  है , वो नर्स उसी अस्पताल की नर्स है  और कह रही  है  उसे कुछ  बताना  है  नही तो छोटे  साहब  की जान को खतरा  हो सकता  है  " दरबान  ने कहाँ


चरण  सिंह  ने अर्जुन की तरफ  घूर  कर  देखा। अर्जुन ने अपनी नज़रे  नीचे  कर  ली।

"ससुरा  केसी औलाद  जनी  है , सुकून  से खाना  भी नही खाने  देती है । जा भेज  जाकर  उसे पता  तो चले  ऐसा क्या जानती है  वो जो की इस नालायक के लिए  बुरा है  " चरण  सिंह  ने कहाँ दरबान  से


"जी मालिक अभी  बुला कर  लाता हूँ " दरबान  ने कहाँ और चला  गया 


"ससुरा  इस नालायक  की वजह  से मुझे कैसे कैसे लोगो से मिलना पड़  रहा  है , जो कभी  डरते  थे  मेरे घर  के पास से गुज़रते  हुए  वो आज  मेरे घर  तक  चले  आ  रहे  है ।" चरण  सिंह  ने कहाँ


दरबान  नैंसी को घर  के अंदर  ले आता  और कहता  जो भी  बताना  है  जल्दी बताना  ये कह  कर  दरबान  बाहर   चला  गया .

नैंसी उसके घर  को निहार रही  थी  तभी  चरण  सिंह  की पत्नि ने गुस्से में कहाँ "मुयी कुछ  बोलेगी भी  या फिर  इस घर  को निहारती रहेगी  "



नैंसी " मालिक मेरी मदद  कीजिये मेरा बेटा मर  रहा  है, उसे शहर  के इलाज की ज़रुरत  है  "

"क्या तू  इसलिए  मेरे घर  में घुसी  है  अपना रोना धोना  करने  के लिए  जो बात कहने  आयी  है  वो कह  और जा यहाँ से " अर्जुन ने कहाँ

चरण  सिंह  ने अर्जुन की तरफ  दोबारा गुस्से से देखा  और नैंसी से कहाँ " बता  क्या बात है, तुझे  उस हादसे के बारे में क्या पता  है जो कुछ  भी  पता  है , बता  दे तेरे बेटे का इलाज मैं कराऊंगा  शहर  में "


नैंसी रोते हुए  बोली " धन्यवाद  मालिक, मालिक वैसे तो मुझे  उस हादसे के बारे में कुछ  नही पता  लेकिन कल जब  उस लड़की  को होश  आया तब  मैं वहा  थी । उसने उस रात हुए  हादसे की एक एक बात अपने बाप को बता  दी और ये भी  की रात छोटे  साहब  ने ही उसके साथ  ये सब  क्या "


"हैय नर्स खामोश  हो जा वरना धक्के  मारकर इस घर  से निकाल दूँगी  या फिर  इस घर  के बगीचे  में गड़ वा दूँगी  अगर  मेरे बेटे पर  ऊँगली उठायी  " अर्जुन की माँ ने गुस्से में कहा 


चरण  सिंह  ने अपनी पत्नि की तरफ  देख  कर  उसे शांत  रहने  का कहा  और नैंसी से बोला " ये बात तो वो कब  से कह  रहा  है, गांव वालो को भी  उस पर  यकीन  नही है  क्यूंकि सब  जानते है  की उस रात अर्जुन जैल  में था  और अगले दिन उसकी रिहायी हुयी थी तो इसमें नया  क्या है , कहने  दो जो कुछ  भी  वो बाप बेटी कहते  है , साबित कैसे करेंगे  सबूत  है  क्या उनके पास कोइ "



मालिक यही  बात तो मैं बताने  आयी  थी  की एक स्पेक्टर साहब  को वहा  एक बोतल  मिली थी  जिसे उन्होंने जाँच  के लिए  भेज  दिया है । अगर उस पर  छोटे  साहब  के उंगलियों के निशान  हुए  तो वो फस  जाएंगे। यही  बात कल  उस आदमी  ने अपनी बेटी को बताई  थी ।

उसे पूरा  भरोसा  है कि छोटे  साहब  को जैल भेजनें में और सजा  दिलवाने में वो सबूत  कारगर  साबित होगा।

ये सुन वहा  खड़े सब  लोग खामोश  हो गए ।


अब क्या होगा चरण  सिंह  का फैसला, कैसे बचाएगा  वो अपने बेटे की जान जानने के लिए  पढ़ते  रहिये ।

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6 Comments

Reyaan

09-Jun-2022 12:31 PM

शानदार

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Abhinav ji

09-Jun-2022 08:52 AM

Very nice👍

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Gunjan Kamal

08-Jun-2022 03:11 PM

शानदार भाग

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